नूरपुर में आज वजीर राम सिंह पठानिया स्मारक समिति द्वारा एक भव्य कार्यक्रम आयोजित कर महान स्वतंत्रता सेनानी और वीर शिरोमणि वजीर राम सिंह पठानिया की प्रतिमा का अनावरण किया गया।
अनावरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे महामहिम राज्यपाल श्रीमान शिव प्रताप शिव शुक्ला जी द्वारा विधिवत प्रतिमा का अनावरण किया गया। प्रतिमा आवरण के उपरांत वजीर राम सिंह पठानिया स्मारक स्थल पर एक जनसभा का भी आयोजन किया गया जिसमें इंद्रेश जी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अध्यक्षता सीमा तटरक्षक बल के रिटायर्ड महानिदेशक श्री वीरेंद्र पठनिया ने की। इस उपलक्ष पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता इंद्रेश कुमार ने कहा की वजीर राम सिंह पठानिया एक महान योद्धा थे और क्षेत्रवासियों को नहीं अपितु पूरे भारत वर्ष को उन पर गर्व होना चाहिए उन्होंने कहा यह जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी प्यारी होती है और उस पर प्राण निछावर करने वालों में श्री राम सिंह पठानिया जी भी एक महान योद्धा थे जिन्होंने अपनी मातृ भूमि पर अंग्रेजों के नापाक कदम ना पड़ सके इसके लिए अपने प्राण निछावर कर दिए। उन्होंने कहा कि हमें अपने वीर सपूतों का इतिहास याद रखना चाहिए और आने वाली पीढ़ी को भी यह इतिहास स्मरण करवाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी भी अपने महान योद्धाओं के बलिदानों को याद रख सके और प्रेरणा पा सके।
कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री वीरेंद्र सिंह पठानीया ने कहा कि उनके लिए सौभाग्य की बात की उन्हें इस ऐतिहासिक महत्व के कार्यक्रम और महान सपूत बजीर राम सिंह पठानिया की प्रतिमा के अनावरण के समारोह के अध्यक्ष के रूप में रहने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि वह स्मारक समिति के आभारी हैं जिन्होंने इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में रहने का अवसर प्रदान किया।
समारोह के मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला जी ने उपस्थित प्रबुद्ध जनों को संबोधित करते हुए कहा कि वह भी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं की एक महान योद्धा की प्रतिमा अनावरण के समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में रहने का उनको अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा एक छोटी सी आयु में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए अपने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर योद्धा की जीवन कथा को समस्त देशवासियों को याद रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन भी लोगों ने महान कार्य किए हैं उन में से बहुत से छोटी आयु में ही छोड़कर भगवान को प्यारे हुए हैं। उन्होंने आदि शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद इत्यादि का उदाहरण देते हुए कहा की उन्होंने छोटी आयु में ही महान कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति त्याग की संस्कृति है इसीलिए भारत को दुनिया के बाकी देश है विश्व गुरु नहीं कहते हैं। इस देश में कोई संस्कार हैं, जिसके कारण भारत विश्व गुरु के रूप में विश्व में स्थापित है।
समिति के अध्यक्ष ठाकुर वीर सिंह ने विशिष्ट अथितियों और सभागार में उपस्थित आए अतिथियों का धन्यवाद किया जिन्होंने समारोह में शामिल होकर समारोह की भव्यता को बढ़ाया।