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बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ शिमला में प्रदर्शन और आक्रोश रैली

Photo credit: VKS

डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स संस्था के बैनर तले गुरुवार को शिमला के सीटीओ चौक पर बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार, नरसंहार और मंदिरों को ध्वस्त करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर एक विशाल जनसभा आयोजित की गई, जिसमें जिला शिमला की कई धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं ने भाग लिया और बांग्लादेश में हो रहे अमानवीय व्यवहार की निंदा की।

धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए उठी अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग

डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स संस्था के सदस्य प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ बांग्लादेश में हो रहा अमानवीय व्यवहार गंभीर चिंता का विषय है। हिन्दू चाहे बांग्लादेश में है या किसी अन्य देश में, हमारे भाई है, उनके साथ दुर्व्यवहार सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने समस्त जनता से आह्वान किया कि सभी एकजुट होकर हिन्दू भाइयों के लिए आवाज बुलंद करते रहें।
इस प्रदर्शन में उपस्थित रामकृष्ण मिशन हिमाचल प्रदेश शिमला के सचिव स्वामी तन्महिमानंद महाराज ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज सभी को उठानी होगी। इस्लामी देशों के साथ-साथ भारत में हिंदू समाज को संभावित खतरों से सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ अत्याचारों की स्थिति बेहद गंभीर है, जिससे संपूर्ण हिंदू समाज चिंतित है। इसके अलावा राम मंदिर सूद सभा से मुकुल सूद ने भी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि न्यायमूर्ति सुरिंदर ठाकुर के अनुसार, देश विभाजन के बाद से पूर्वी पाकिस्तान और 1971 में बने बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हिंसा, हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध होते रहे हैं। अब 21वीं शताब्दी में यह इतिहास फिर से दोहराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए समाज को एकजुट होकर ज्ञापनों और विरोध प्रदर्शन के माध्यमों से भारत सरकार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठानी होगी। इससे पूर्व कई संस्थाओं ने संबंधित उपायुक्तों के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपे है।

ज्ञापन में बांग्लादेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ती हिंसा, अपहरण और शिक्षा से वंचित करने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की गई। इसमें कहा गया कि यह न केवल बांग्लादेश के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का भी हनन है। ज्ञापन में भारत सरकार से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने, संयुक्त राष्ट्र से स्वतंत्र जांच आयोग गठित करने और हिंसा में शामिल अपराधियों को सजा दिलाने की मांग की गई। साथ ही प्रभावित समुदायों के पुनर्वास और महिलाओं एवं बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष कदम उठाने की अपील की गई। इसके अलावा देवभूमि संघर्ष समिति के सह संयोजक मदन ठाकुर, हिंदू जागरण, महिला प्रमुख अनीता ठाकुर, अजीत कुमार सहित विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों और बड़ी संख्या में शिमला के स्थानीय लोगों ने इस विशाल जनसभा का प्रतिनिधित्व किया। इस प्रदर्शन में लोग शांतिपूर्ण ढंग से शामिल हुए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की गई |

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