व्यास अध्ययन केंद्र फागली द्वारा गुरूवार को डॉ. हेडगेवार भवन के सभागार में ‘पंच परिवर्तन से राष्ट्रीय पुनरूत्थान’ विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में व्यास अध्ययन केंद्र फागली द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी में कोटशेरा महाविद्यालय एवं संस्कृत महाविद्यालय फागली के लगभग 90 छात्रों ने भाग लिया। कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के गणित विभाग के प्रो. खेमचंद ठाकुर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि प्रांत प्रचार प्रमुख श्री प्रताप समयाल जी मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय गणित विभाग की आचार्य प्रो. ज्योति प्रकाश ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

मुख्य वक्ता श्री प्रताप समयाल जी ने ‘पंच परिवर्तन से राष्ट्रीय पुनरूत्थान’ के पांच महत्वपूर्ण विषयों पर छात्रों और संगोष्ठी में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों के साथ गहन चर्चा की। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि भारत को माता के रूप में मानकर जय करने वाला भारत विश्व में पहला देश है। यही कारण है कि भारत को ‘विश्व गुरु’ और ‘दुनिया के सिरमौर’ के रूप में पहचाना जाता था। उन्होंने यह भी कहा कि देश के विकास के लिए सभी के प्रयास जरूरी हैं, और इसके लिए पंच परिवर्तन की आवश्यकता है।

श्री प्रताप ने राष्ट्र के पुनरूत्थान के लिए इन पांच महत्वपूर्ण विषयों पर विचार साझा किएः सामाजिक समरसता: उन्होंने कहा कि भारत को मजबूत बनाने के लिए हमें समाज में जातीय भेदभाव समाप्त कर एकजुट होना होगा। सभी का जलाशय, देवालय, शमशान एक होने चाहिए। ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों से हमें सामाजिक समरसता का संदेश देना है। पर्यावरण संरक्षण: उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर बल देते हुए कहा कि हम पॉलीथीन हटाएं, पानी बचाएं और पेड़ लगाएं। सामूहिक प्रयासों से ही हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं।स्वत्व का भाव: उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास समृद्ध है, और हमें अपने देश की प्राचीन धरोहर और योगदान को समझना चाहिए। योग भारत की एक अद्वितीय देन है, जिसे पूरी दुनिया मान्यता देती है।नागरिक कर्त्तव्य: उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, और हमारा संविधान विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। अधिकारों के साथ-साथ नागरिकों को अपने कर्त्तव्यों को समझना और पालन करना जरूरी है। कुटुम्ब प्रबोधन: उन्होंने संयुक्त परिवार की महत्ता पर जोर दिया और कहा कि हिन्दू आदर्श परिवार के सिद्धांतों पर विचार करना चाहिए। सामूहिक भोजन, भजन और भ्रमण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इन विषयों को लेकर छात्रों ने कई सवाल भी किए और मुख्य वक्ता की तरफ से उनका समाधान भी सुझाया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. खेमचंद ठाकुर जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि पंच परिवर्तन हमारे भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। ये पांचों विषय त्रेतायुग से लेकर आधुनिक युग तक हमारे समाज में महत्वपूर्ण रहे हैं। अंत में उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ प्राचीन शिक्षा और वेदों का अध्ययन भी करें, जिससे वे गहरे ज्ञान की प्राप्ति कर सकें। इस अवसर पर संस्कृत महाविद्यालय से डॉ. दिनेश जी, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से डॉ. तरूण सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों और छात्रों ने भी विचार-विमर्श में सक्रिय रूप से भाग लिया।

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