धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयू) के धौलाधार परिसर-एक में पत्रकारिता और जनसंचार विभाग द्वारा आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के सहयोग से “राष्ट्रीय शिक्षा नीति और भारतीय ज्ञान प्रणाली” विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में प्रो. प्रदीप कुमार, अधिष्ठाता अकादमिक बतौर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। वहीं निदेशक आईक्यूएसी प्रो. मोहिंदर सिंह ने मुख्य अतिथि के तौर पर इस संगोष्ठी में भाग लिया। डॉ. अर्चना कटोच, अधिष्ठाता, स्कूल ऑफ जर्नलिज्म, मास कम्यूनिकेशन एंड न्यू मीडिया ने मुख्य वक्ता और मुख्य अतिथि का स्वागत किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के महत्व पर विस्तार से चर्चा
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. प्रदीप कुमार, अधिष्ठाता अकादमिक ने नई शिक्षा नीति-2020 की उपयोगिता और महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इसमें भारतीय ज्ञान परंपरा को समाहित करना समय की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि भारतीय दर्शन, साहित्य, विज्ञान और चिकित्सा पद्धति जैसी परंपराएं विश्व को नई दिशा दे सकती हैं। प्रो. प्रदीप ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव का आधार है। इसे सफल बनाने के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे। भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक शिक्षा का संगम ही भविष्य में आत्मनिर्भर भारत का मार्ग प्रशस्त करेगा।
भारतीय ज्ञान को उच्च शिक्षा में जोड़ने की आवश्यकता
मुख्य अतिथि डॉ. मोहिंदर सिंह, निदेशक, IQAC ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षण संस्थानों को भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की दिशा में प्रयास करने चाहिए। इससे छात्रों को अपनी जड़ों और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
इस संगोष्ठी में के समन्वयक प्रो. आदित्य कांत ने आयोजन को सफल बनाने में विशेष भूमिका निभाई। वहीं विभाग के सदस्य डॉ. हर्ष मिश्रा, श्री हरिकृष्णन बी और डॉ. मोनिका भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। साथ ही शोधार्थियों, विद्यार्थियों और संकाय के अन्य सदस्यों ने भी भाग लिया। सभी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के व्यावहारिक पक्षों और भारतीय ज्ञान को आधुनिक शिक्षा प्रणाली में जोड़ने के उपायों पर विचार-विमर्श किया।