राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के शताब्दी वर्ष पूर्ण होने पर खंड उदयपुर, जिला लाहौल-स्पीति में भव्य पथ संचलन का आयोजन किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर सैकड़ों स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में अनुशासन और उत्साह के साथ नगर की मुख्य सड़कों पर संगठित रूप से आगे बढ़े।

कार्यक्रम में देवभूमि संगम महादेव, बाबा भूतनाथ मंदिर कुल्लू के परम पूज्य संत योगी विजय नाथ जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने संघ की गौरवशाली सौ वर्षों की यात्रा, गौ हत्या के मुद्दे और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नवां अवतार माना जाता है और उसी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा की जाती है।

इस अवसर पर प्रांत कृषक कार्य प्रमुख, जिला कुल्लू, श्रीमान किशोर जी ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि संघ की सौ वर्षों की यात्रा समाज सेवा, राष्ट्र निर्माण और सांस्कृतिक चेतना को समर्पित रही है। उन्होंने स्मरण कराया कि इस दौरान संघ को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा और तीन बार प्रतिबंधों से गुजरना पड़ा—1948 में महात्मा गांधी की हत्या के आरोप में, 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान और तीसरी बार बाबरी मस्जिद प्रकरण के कारण। बावजूद इसके, संघ अपने जीवन मूल्यों के आधार पर निरंतर प्रगति करता रहा और आज एक विशाल वटवृक्ष के रूप में समाज के सामने खड़ा है।

अपने संबोधन में श्रीमान किशोर जी ने डॉ. हेडगेवार जी के जीवन संदेश पर प्रकाश डालते हुए “पंच परिवर्तन” के रूप में पाँच मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया—

1. सामाजिक समरसता

2. कुटुंब प्रबोधन

3. पर्यावरण संरक्षण

4. नागरिक कर्तव्य

5. स्वभाव (स्वदेशी और आत्मनिर्भरता)

उन्होंने सभी स्वयंसेवकों से इन मूल्यों को अपने जीवन में धारण कर समाज में जागृति फैलाने का आग्रह किया।इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधि तथा मीडिया कर्मी भी उपस्थित रहे। पूरे नगर में इस आयोजन को लेकर उत्सव जैसा वातावरण रहा और बड़ी संख्या में नागरिकों ने पथ संचलन का अवलोकन किया।

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